योगी राज में अयोध्या की पुरानी और ऐतिहासिक पहचान बनेगी विश्व धरोहर का केंद्र

राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ अयोध्या की तस्वीर और तकदीर दोनों बदलने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. अयोध्या की पुरानी और ऐतिहासिक पहचान लौटाने के लिए मास्टर प्लान को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इसके लिए इतिहास में झांकने के साथ-साथ पुरातन धार्मिक ग्रंथों के पन्नों को भी पलटा जा रहा है ताकि राम जन्मभूमि के पूरे परिसर को भव्य और आकर्षक रूप दिया जा सके.

मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र राम जन्मभूमि परिसर को ऐतिहासिक पहचान देने के लिए विभिन्न डिजाइनर और लेआउट को देखा जा रहा है.

इसमें भव्य मंदिर के साथ-साथ तीर्थ यात्रियों की सुविधाएं, परिक्रमा की व्यवस्था, पार्किंग, म्यूजियम, प्रदर्शनी और दर्शनार्थियों के आराम करने की जगह तक शामिल हैं. इसके अलावा राम मंदिर आने वाले दर्शनार्थियों के मोबाइल, आवश्यक सामान और जूते-चप्पल रखने के लिए की रैक का निर्माण भी किया जाएगा.

श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इन सारी अरेंजमेंट के लिए देश के बड़े मंदिरों की व्यवस्थाओं का आकलन भी कर रहा है. इसी के साथ राम मंदिर की सीढ़ियों पर स्वतः जल प्रवाह होता रहे जिससे लोगों को पैर धोने के लिए कहींं और ना जाना पड़े, ऐसे एक प्रोजेक्ट पर भी मंथन चल रहा है. यही नहीं अयोध्या की अपनी पौराणिकता बनाए रखने के लिए भी ताना-बाना बुना जा रहा है.

राम मंदिर ट्रस्ट इसके लिए सन 1902 में एडवर्ड तीर्थ विवेचनी सभा द्वारा चिह्नित स्थलों के साथ-साथ धार्मिक ग्रंथ जैसे रुद्रयामल, स्कन्द पुराण और विष्णु पुराण का भी सहारा लिया जा रहा है.
बता दें कि स्थानीय शोधों के आधार पर एडवर्ड तीर्थ विवेचनी सभा ने राम नगरी की 84 कोसी परिधि में 148 पौराणिक और ऐतिहासिक स्थानों को चिंहित करके शिलालेख लगवाए थे, जिसमें 43 स्थान अयोध्या के रामकोट क्षेत्र के भीतर हैं.

राम जन्मभूमि परिसर की 70 एकड़ भूमि में भी कई ऐतिहासिक और पौराणिक स्थान हैं. इसीलिए जनश्रुतियों के आधार पर पूरी भूमिका आंतरिक सर्वे विशेषज्ञों के द्वारा ट्रस्ट ने कराया है. यही कारण है कि पूरे 70 एकड़ में खुदाई नहीं की जाएगी बल्कि केवल गर्भ गृह के आसपास मंदिर निर्माण की भूमि में ही खुदाई और समतलीकरण का कार्य किया जाएगा, जिससे मंदिर परिसर के भीतर ऐतिहासिक चीजों में बदलाव ना हो.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने आंतरिक सर्वे के बाद ही राम जन्मभूमि परिसर में ऐतिहासिक और प्राचीन 11 स्थानों को चिह्नित किया है. ट्रस्ट ने राम जन्मभूमि परिसर का पूरा ब्लू प्रिंट तैयार करके मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र को भेज दिया है. इस पर उनकी मुहर लगनी है.

राम जन्मभूमि परिसर के 70 एकड़ के भीतर प्रवेश करते ही दर्शनार्थियों को रामायण कालीन दृश्य और श्री राम के समय की पौराणिकता का एहसास हो इसका पूरा खाका खींचा जा रहा है. राम मंदिर के चारों तरफ राम कुंज का निर्माण किया जाएगा, जिसमें राम के जीवन से जुड़ी तमाम मूर्तियां लगाई जाएंगी.

यह मूर्तियां श्री राम के बचपन से लेकर उनके गुप्त होने तक की पूरी रामकथा को प्रदर्शित करेंगी. अयोध्या के राम कारसेवक पुरम में इनका निर्माण भी लंबे समय से चल रहा है. यानी बहुप्रतीक्षित राम मंदिर निर्माण के साथ साथ अयोध्या की तस्वीर और तकदीर भी बदलने वाली है.

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