मोदी सरकार ने 112 करोड़ देशवासियों की जेब से 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये निकाले: रणदीप सुरजेवाला

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले में अब कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि मोदी सरकार ने 112 करोड़ देशवासियों की जेब से 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये निकाले हैं. प्रीपेड मोबाइल ग्राहकों को लूटा गया है. सेलफोन कंपनियों को छूट दी गई है. यह एक बहुत बड़ा घोटाला है.

रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया कि मोदी सरकार ने 112 करोड़ प्रीपेड सेलफोन ग्राहकों पर 160028 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ डाला, इसकी वजह क्या है? क्या मोबाइल कंपनियों द्वारा सेल फोन टैरिफ और डेटा यूज़ चार्ज 40% तक बढ़ाकर कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले 102000 करोड़ रुपये के भुगतान की वसूली की जा रही है? टेलीकॉम कंपनियों से 102000 करोड़ रुपये की रिकवरी को लंबित करने में कैबिनेट के 29 नवंबर 2019 के निर्णय से टेलीकॉम कंपनियों का 42000 करोड़ रुपये की देनदारी को लंबित करने के पीछे क्या कारण है?

बता दें कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्‍युनिकेशन (DoT) ने टेलीकॉम कंपनियों को शुक्रवार रात 12 बजे से पहले एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानी AGR भुगतान करने का आदेश दिया था. टेलीकॉम कंपनियों को 1.47 लाख करोड़ से अधिक का बकाया चुकाना था.

डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्‍युनिकेशन ने यह फैसला ऐसे समय में लिया था जब शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को झटका दिया है. दरअसल, एजीआर भुगतान के लिए और समय की मांग करते हुए वोडाफोन-आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. इस नोटिस में पूछा गया है कि AGR पर कोर्ट के आदेश को क्‍यों नहीं माना गया.

कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या इस देश में कोई कानून नहीं बचा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश पर अमल नहीं किये जाने पर कड़ा रूख अपनाया और टेलीकॉम मिनिस्‍ट्री के डेस्क अधिकारी के एक आदेश पर अपनी नाराजगी व्यक्त की.

दरअसल, टेलीकॉम मिनिस्‍ट्री के डेस्‍क अधिकारी ने एजीआर भुगतान के मामले में कोर्ट के फैसले के प्रभाव पर रोक लगा दी थी. डेस्क अधिकारी ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और अन्‍य अधिकारियों को पत्र लिखा कि वे टेलीकॉम कंपनियों और अन्य पर इस रकम के भुगतान के लिए दबाव नहीं डालें. इसके साथ ही ये सुनिश्चित करें कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो.

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