भारतीय संविधान के दायरे से बाहर कश्मीर को कोई छूट नहीं: सुप्रीम कोर्ट

supreme-court-hearing-on-saturday_1460822245सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के एक फैसले को खारिज करते हुए अपने एक आदेश में कहा है कि भारतीय संविधान के दायरे से बाहर जम्मू कश्मीर को कोई भी शक्तियां नहीं दी जा सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के उस फैसले को खारिज कर दिया गया जिसमें कश्मीर को संप्रभु राज्य बताया गया था। 

 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस कुरियन जोसेफ और रोहिंटन नरीमन की दो सदस्यीय खंडपीठ ने ये फैसला दिया। 

याचिका पर सुनवाई के बाद दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार ही जम्मू कश्मीर को कोई छूट दी गई है। जम्मू कश्मीर के लोग पहले भारत के नागरिक हैं इसलिए ये कहना गलत होगा कि कश्मीर के नागरिक शेष देश के राज्यों के नागरिकों से अलग हैं ।
नहीं है दोहरी नागरिकता का प्रावधान: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि ये परेशान करने वाला है कि जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कश्मीर को एक संप्रभु राज्य बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कश्मीर के लोग पहले भारत के नागरिक हैं। 
फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संंविधान की धारा 3 के तहत भारत संघ राज्यों का एक समूह है और जम्मू कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुनिया के कई अन्य देशों के संविधान में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है लेकिन भारत संघ में ऐसा नहीं है। 
गौरतलब है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कर्ज प्राप्ति के लिए कश्मीर की किसी भी संपत्ति को बेच नहीं सकता। 

जम्मू कश्मीर में समान रूप से लागू हैं वित्तीय कानून

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि सिक्योरिटाइजेशन और रिकंस्ट्रक्शन्स ऑफ फाइनेंशियल एसेट एक्ट कश्मीर में भी भारत के अन्य राज्यों के समान रूप से लागू होगा। 
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि सिक्योरिटाइजेशन और रिकंस्ट्रक्शन्स ऑफ फाइनेंशियल एसेट एक्ट और ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के प्रावधानों में विरोधाभास जरूर है। 
 

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