भक्ति-आराधना का पर्व गुप्त नवरात्र 25 जनवरी से तीन फरवरी तक मनाया जाएगा: धर्म

भक्ति-आराधना का पर्व गुप्त नवरात्र 25 जनवरी से तीन फरवरी तक मनाया जाएगा। श्रद्धालु सिद्धि की कामना के लिए माता रानी की पूजा-अर्चना करेंगे। शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक वर्ष चार नवरात्र मनाई जाती हैं, जिनमें से दो गुप्त और दो प्रकट रूप में मनाई जाती हैं। अश्विन एवं चैत्र में प्रकट और अषाढ़ व माघ में गुप्त नवरात्र का पर्व आता है।

चारों नवरात्र शुक्ल पक्ष में एकम से नवमीं तक रहती हैं। आषाढ़, माघ की नवरात्र में शादियां होती हैं। नवरात्र में यह दोनों पर्व अपना विशेष महत्व रखते हैं। 25 जनवरी को शैलपुत्री देवी की पूजा अर्चना के साथ पर्व शुरू होगा। तीन फरवरी नवमीं को महनंदा देवी की पूजा-आराधना के साथ पर्व का समापन होगा।

मां चामुंडा दरबार के पुजारी पं. रामजीवन दुबे व ज्योतिषाचार्य विनोद रावत के अनुसार गुप्त नवरात्र में की गई साधना सिद्धि, सुख-समृद्धि, सफलता, लाभ, मान-सम्मान प्रदान करती है। तांत्रिक देवी की सिद्धि के लिए साधना करेंगे। 28 और 29 जनवरी को दो दिन चतुर्थी का व्रत रहेगा।

घटस्थापना : पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय स्थिर लगन में सुबह 7.42 से 9.15 कुंभ, दोपहर 12.26 से 2.24 वृषभ, शाम 6.54 से 9.07 सिंह गोधूलि सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। वहीं चौघड़िया अनुसार सुबह 7.30 से 9 शुभ, दोपहर 12 से 1.30 बजे तक लाभ, 3 से 4.30 बजे तक अमृत, रात्रि 6 से 7.30 लाभ, गोधूलि सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में पूजा का शुभारंभ करें।

25 जनवरी – प्रथम शैलपुत्री

26 जनवरी – द्वितीय ब्रह्मचारिणी (द्विपुष्कर योग)

27 जनवरी – तृतीय चंद्रघंटा (अमृत योग)

28, 29 जनवरी – चतुर्थी कुष्मांडा (अमृत योग)

30 जनवरी : पंचम स्कंदमाता (सर्वार्थ सिद्धि-रवियोग)

31 जनवरी : षष्ठम-कात्यायनी (अमृत रिद्धि-सर्वार्थ सिद्धि-रवियोग)

1 फरवरी : सप्तम-कालरात्रि (रवियोग)

2 फरवरी : अष्टम – महागौरी (रवियोग)

3 फरवरी : नवमीं – सिद्धिदात्री (सर्वार्थ सिद्धि योग)

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