बड़ी खबर: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुरजी के श्रीविग्रह का महाभिषेक सरयू नदी के पावन जल से होगा अयोध्या से नृत्य गोपालदास जल लेकर पहुचे

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ब्रज में उमंग और उल्लास है। कान्हा का जन्मोत्सव मनाने के लिए मंदिरों को भव्य रूप से सजाया गया है। इस बार भले ही कोरोना के कारण मंदिरों में भक्त अपने आराध्य के दर्शन साक्षात् नहीं कर पाएं, लेकिन ब्रज के लाला के स्वागत में कोई कमी नहीं है। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान लेकर नंदगांव तक आस्था की अद्भुत आभा बिखर रही है। वृंदावन के मंदिर भी रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा उठे। राधा के गांव बरसाना में भी जन्मोत्सव की धूम है।

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और वृंदावन के मंदिरों में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इसकी तैयारियां मंगलवार को दिनभर चलती रहीं। मंदिर और आश्रमों में विशेष तैयारियों का दौर नजर आया। ठाकुर जी के विशेष शृंगार के लिए पोशाकों के साथ फूल आदि की व्यवस्था की गई है। ठाकुरजी के भवनों को सजाया गया है।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन मंदिर में जन्म से पहले ठाकुरजी को पोशाक अर्पित की गई। इस दौरान श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा और गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी समेत कई भक्त मौजूद रहे। भक्तों ने ढोल-मजीर बजाकर कीर्तन किया और जमकर झूमे।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन में सुवर्ण आभा बंगला तैयार किया जा रहा है। यह बंगला हस्तशिल्प कला का एक उत्कृष्ट नमूना होगा। कपिल शर्मा ने बताया कि इस वर्ष भागवत भवन में सुवर्ण आभा अत्यंत सुंदर नक्काशी युक्त बंगले की सज्जा में रत्न प्रतिकृति जड़ी जाएंगी जो इसकी छटा को नयनाभिराम बनाएगी।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि भगवान जन्माष्टमी पर होने वाले कार्यक्रमों को संपूर्ण शास्त्रोक्त विधान एवं परंपराओं के अनुरूप संपन्न कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्म महोत्सव पर भगवान श्रीकृष्ण का स्वागत भव्य दीपदान के आयोजन से किया जाएगा।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर द्वारिकाधीश का आंगन देसी-विदेशी फूलों से सजाया गया है। मंदिर को रजनीगंधा, चंपा, चमेली, गुलाब, मोगरा के साथ जरबेरा, आर्किट, एंथोलियान आदि विदेशी फूलों से सजाया गया है। इन्हीं फूलों के मध्य विराजकर राजाधिराज भक्तों को दर्शन देंगे। इस साल ठाकुरजी पौन घंटे दर्शन होंगे। बुधवार की सुबह 10 से 10.30 बजे और रात्रि 11.45 बजे ही चैनल के माध्यम से दर्शन होंगे।

राधाकृष्ण की लीला भूमि वृंदावन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के लिए पूरी तरह से तैयार है। मंदिर और आश्रमों को जन्मोत्सव के लिए भव्यतापूर्ण सजाया गया है। इसका आकर्षण बुधवार को कान्हा के जन्म पर दिखाई देगा। हालांकि इस भव्यता को देखने के लिए भक्त नहीं होंगे। कोरोना के कारण मंदिर में भक्तों को प्रवेश नहीं मिलेगा। वृंदावन के ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर, श्रीराधा रमण, श्रीराधा वल्लभ, श्रीराधा दामोदर, प्रेम मंदिर सहित आदि मंदिरों में जन्मोत्सव के लिए भव्य सजावट की गई।

नंदबाबा का गांव मंगलवार को बाल कृष्ण के अवतरण की खुशी में डूबा रहा। कान्हा ने घर-घर में एक बार फिर अवतार लिया। नंदगांव की विशेष परंपरा के अनुसार पंचागों की काल गणना के उलट रक्षाबंधन के ठीक आठ दिन बाद यहां श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया गया। दोपहर करीब साढ़े बारह बजे नंदगांव के गोस्वामियों ने नंदभवन में अष्टछाप के कवियों की वाणियों का गायन किया। समाज गायन का दौर तीन घंटे से अधिक चला।

कान्हा की नगरी ब्रज में यह पहला मौका है, जब भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बिना भक्तों के मनाया जा रहा है। मंदिरों में भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध है। यह कदम कोरोना संक्रमण के बढ़ते दायरे को देखते हुए लिया गया है। जन्मस्थान पर होने वाले जन्मोत्सव के कार्यक्रम के लाइव दर्शन श्रद्धालु टेलीविजन व अन्य प्रसारण माध्य से होंगे।

जन्माष्टमी पर कान्हा की नगरी मथुरा का राम नगरी अयोध्या से विशेष नाता जुड़ जाएगा। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुरजी के श्रीविग्रह का महाभिषेक सरयू नदी के पावन जल से होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास अयोध्या से सरयू नदी का जल लेकर कान्हा की नगरी पहुंच गए हैं।

 

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