नोटबंदी के बाद 6 दिन में जिला सहकारी बैंकों में जमा हुए 9000 करोड़

note_1482037627नोटबंदी के बाद जिला सहकारी बैंकों में जमा हुई रकम का आंकड़ा हैरान करने वाला है। आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा हुई और उसके तुरंत बात ही इन बैंकों में पैसा तेजी से बढ़ गया।
 टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक 10 से 15 नवंबर के बीच 17 राज्यों के जिला सहकारी बैंकों में 9000 करोड़ रुपये तक जमा हुए। अपनी माली हालात और नुकसान की समस्या से जूझ रहे इन बैंकों में अचानक जमा हुई रकम सवालों के घेरे में आ गई है।
जिला सहकारी बैंकों के पास अचानक पुराने नोटों के रूप में 147 करोड़ रुपये जमा हुए, जिसके बाद सरकार और नीति निर्माताओं ने इन बैंको को 500 और 1000 के नोट लेने से मना कर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि जिन लोगों की इन बैंकों में अच्छी पहचान थी, उन्होंने अपनी अघोषित रकम को नए नोटों में बदलवा लिया।

किसानों के नाम पर इन बैंकों में खुलवाए जाते हैं खाते

नाबार्ड के पूर्व प्रबंध निदेशक डॉ. केजी करमाकर कहते हैं कि कई सालों से जमीनी तौर पर राजनेता मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किसानों के नाम पर इन बैंकों में खाते खुलवाते थे। आधिकारियों ने इस बात पर हैरानी जताई है कि अकेले केरल में 1800 करोड़ रुपये इन खातों में जमा हुए जहां खेती पतन की स्थिति में है।
केरल में सीमांत किसान और छोटे व्यापारियों के खाते इन जिला सहकारी बैंकों में हैं। एक शीर्ष अधिकारी कहते हैं “ये जांच का विषय है कि ऋण पर निर्भर इन जमाकर्ताओं ने आखिर कैसे पांच दिनों के भीत 1810 करोड़ रुपये जमा कर दिए।
वहीं पंजाब की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। यहां भी 20 से ज्यादा जिला सहकारी बैंकों के पास इन पांच दिनों में 1268 करोड़ रुपये जमा हो गए। वहीं महाराष्ट्र में 10 से 14 नवंबर के बीच 1128 करोड़ रुपये जमा हुए।
 
 

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