दो बच्चों वाली बात पर मोहन भागवत ने दिया बड़ा…बयान बताई संघ की सोच

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारत में जन्म लेने वाला हर शख्स हिन्दू है। हिन्दू किसी धर्म का नहीं, दर्शन और चिंतन का नाम है। हमें गर्व है कि हम पराक्रमी पूर्वजों की संतान हैं। अलग-अलग जाति, धर्म और पंथों के होकर भी हम सब एक हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में जनसंख्या समस्या के साथ संसाधन भी हो सकती है। इसलिए जनसंख्या नीति बनाने से पहले सरकार को इस पर सबके साथ मंथन करने की जरूरत है। कुछ जगह यह छाप दिया गया कि उन्होंने हर इंसान के केवल दो बच्चे होने की बात कही है। मगर यह गलत है। किस इंसान के कितने बच्चे होंगे यह संघ नहीं जनसंख्या नीति तय करेगी।

रुहेलखंड विश्वविद्यालय के स्पोट्र्स स्टेडियम में संघ प्रमुख ने लोगों को भविष्य के भारत पर आरएसएस का दृष्टिकोण समझाया। उन्होंने कहा कि भविष्य के भारत की कल्पना से पूरी दुनिया का संत्रास दूर होगा। भारतवर्ष यहां रह रहे हर शख्स का है। किसी एक संगठन का नहीं। हम सबको भूतकाल और वर्तमान से सीखकर भविष्य की कल्पना करनी है।

जनसंख्या एक समस्या लेकिन संसाधन भी हो सकती है
जनसंख्या देश के लिए एक बड़ी समस्या है। मगर यह एक बड़ा संसाधन भी हो सकती है। सरकार देश में आम राय बनाने के बाद ही जनसंख्या नीति बनाए और फिर उसे लागू करे। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नीति बनाने से पहले उस पर गंभीरता से चिंतन किए जाने की जरूरत है। कुछ जगह यह छाप दिया गया कि मैंने हर शख्स के दो बच्चों की पैरवी की है। मगर, मैंने ऐसी कोई बात नहीं कही। यह जनसंख्या नीति तय करेगी कि किसी शख्स के कितने बच्चे होने चाहिए। इसलिए इस नीति पर सबकी सहमति होनी चाहिए।

1940 से पहले तक देश का हर शख्स था राष्ट्रवादी
संघ प्रमुख ने कहा कि 1940 से पहले तक देश का हर शख्स राष्ट्रवादी था। चाहे वह समाजवादी हो या कम्युनिस्ट। मगर आजादी के बाद सब बिखर गए। गांधी जी ने सात पापों से मुक्त भारत की कल्पना की थी। संघ के भारत की कल्पना महात्मा गांधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर, भीमराव अंबेडकर के भारत की कल्पना से अलग नहीं है। सबके शब्द अलग-अलग हैं मगर भाव एक है। अच्छे भारत की कल्पना सबने की थी मगर यह आजादी के 70 साल बाद भी साकार क्यों नहीं हो पाई, इस बारे में सोचना होगा।

जमीन का टुकड़ा नहीं है हिन्दुस्तान
मोहन भागत ने कहा कि हिन्दुस्तान कोई जमीन का टुकड़ा नहीं, स्वभाव और प्रवृत्ति है। अगर जमीन का टुकड़ा होता तो नाम बदल गया होता। इस देश में जन्मा हर शख्स जिसके पूर्वज हिन्दू थे, वह हिन्दू है। जो लोग हिन्दू नहीं होना चाहते थे वो इस देश को छोड़कर दूसरे देश में चले गए। इस देश में अनेक भाषा, धर्म और देवी-देवता और पूजा पद्धतियां हैं। मगर विविधता के बीच हम सब एक हैं। हिन्दुस्तान में रह रहे सभी 130 करोड़ लोग हिन्दू हैं। संघ किसी को बदलने की बात नहीं कर रहा। हम अलग-अलग प्रांत, पंथ, धर्म, जातियों में रहें मगर एक रहें और तरक्की करें।

जब-जब हम हिन्दुत्व भूले देश पर विपत्ति आई
उन्होंने कहा कि हम सब हिन्दू हैं। जब-जब हम इस बात को भूले तब-तब देश पर विपत्ति आई। इसलिए सब मिलकर रहो। एक दूसरे को बर्दाश्त करना नहीं, स्वीकार करना सीखो। हिन्दू और हिन्दुत्व ने हमेशा वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया है। हम हमेशा पूरे विश्व को साथ लेकर चले हैं। हमारे मन में विश्वास है कि आपसी भेदभाव और फूट के बावजूद हम एक हैं। अलग-अलग विविधताओं में रह रहे लोग एक दूसरे को मन और बुद्वि से स्वीकार करें।

संघ के पास न रिमोट न अपना कोई एजेंड़ा
संघ प्रमुख ने कहा कि संघ के पास न तो कोई रिमोट कंट्रोल है न ही अपना कोई अलग एजेंडा। भारत संविधान से चलता है और संघ ने हमेशा संविधान का सम्मान किया है। भीमराव अंबेडकर ने महापुरुषों के सहयोग से भारत का जो रोडमैप तैयार किया था अब उसे साकार करने का वक्त है।

खुद मिट गए संघ को मिटाने की सोचने वाले
उन्होंने कहा कि संघ को मिटाने की सोच रखने वाले लोग खुद मिट गए। कुछ लोग कहते हैं कि संघ वाले जालिम हैं, ये जो भी करेंगे तुम्हारे खिलाफ ही करेंगे। मगर यह सच नहीं है। हम देश के हर नागरिक और अपने देश से प्रेम करते हैं। इसी रास्ते पर चलकर देश तरक्की के मार्ग पर अग्रसर होगा। संघ की शाखाओं में देश से प्रेम करना सिखाया जाता है। संघ को समझने के लिए लोगों को हमारे पास आना होना। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे चीनी की मिठास को खाने के बाद ही महससू किया जा सकता है। जो लोग संघ पर अनर्गल आरोप लगाते हैं वो जनता में वहम पैदा करके भीड़ जमा कर रहे हैं। मगर हमें ऐसा नहीं करना है क्योंकि हमारे मन में कोई गुस्सा नहीं है। हम मनुष्य निर्माण करते हैं और उसे प्रेम करना सिखाते हैं।

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