जानिए, किस डर से फिल्मों में मौत का सीन नहीं करते रजनीकांत, वजह चौका देने वाला

आप सभी को बता दें कि साउथ और बॉलीवुड दोनों ही दुनिया के सुपरस्‍टार कहे जाने वाले रजनीकांत 12 दिसंबर को अपना जन्मदिन मनाते हैं. इस बार वह 68 साल के होने वाले हैं. आप सभी को बता दें कि रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर 1950 को बंगलुरू में हुआ था और उनका नाम शिवाजी राव गायकवाड़ रखा गया था लेकिन फिल्‍मों में बुलंदियों को उन्होंने रजनीकांत के नाम से ही छुआ और आज वह रजनीकांत के नाम से ही पॉपुलर हैं. रजनीकांत ने बॉलीवुड से लेकर साउथ तक की कई फिल्मों में काम किया और वह आज के समय में साउथ के भगवान मानें जाते हैं.

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत खलनायक के रूप में की लेकिन देखते ही देखते वह महानायक बन गए. आप सभी को बता दें कि रजनीकांत ने तमिल फिल्मों में खलनायक की भूमिकाएं निभाने के बाद अभिनेता के तौर पर काम करना शुरू किया. उन्होंने तेलुगू फिल्म ‘छिलाकाम्मा चेप्पिनडी’ (1975) में उन्हें पहली बार हीरो का रोल निभाया जो सभी को पसंद आया और उसके बाद उनकी किस्मत चमकती गई. अब रजनीकांत तमिल सिनेमा पर छा गए हैं और उनका नाम सभी बड़े गर्व के साथ लेते हैं.

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ऐसे में ऐसी कई फ़िल्में रहीं हैं जिनमे रजनीकांत ने स्‍क्रीन पर मौत के सीन नहीं किए हैं और उसकी वजह बहुत ही ख़ास बताई गई है. जी हाँ, बताया जाता है कि रजनीकांत से मौत का सीन इस वजह से नहीं करवाया जाता था क्योंकि डायरेक्‍टर्स को लगता है कि अगर उन्‍होंने रजनी को मरते हुए दिखाया तो फिल्‍म फ्लॉप हो जाएगी. फिल्म फ्लॉप होने के डर से बहुत सी ऐसी फ़िल्में रहीं हैं जिनमे रजनीकांत को मरते हुए नहीं दिखाया गया.

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