गोकशी हुई तो नपेंगे एसपी, डीएम: योगी

बुलंदशहर में गोकशी को लेकर भड़की हिंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त फरमान जारी किया है. सीएम योगी ने कहा है कि किसी भी जिले में गोकशी की घटना पाई गई तो इसके लिए सीधे जिले के एसपी और डीएम जिम्मेदार होंगे.  

इस बात की जानकारी मुख्य सचिव ने उत्तर प्रदेश के सभी डीएम और एसपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दी है, मुख्यमंत्री ने गोकशी पर अपना सख्त रुख मंगलवार रात की हुई मीटिंग में रखा था और हाई लेवल मीटिंग में उच्चाधिकारियों को गोकशी रोकने के साथ ही जिले के अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराने के निर्देश दिए थे. मुख्यमंत्री के इसी हाई लेवल मीटिंग के बाद मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडे ने सभी जिला अधिकारियों और पुलिस कप्तानों को सख्त निर्देश जारी किए हैं.

सीएम योगी के निर्देश पर मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी मण्‍डलायुक्‍तों और फील्‍ड में तैनात पुलिस एडीजी, आईजी एवं डीआईजी को जनपद भ्रमण के दौरान निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं. प्रदेश के सभी जनपदों के जिलाधिकारी और वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक व पुलिस अधीक्षकों को अवैध पशुवधशालाओं के संबंध में की जा रही कार्रवाई की रिपोर्ट हर हफ्ते उपलब्‍ध कराने के निर्देश दिए हए हैं. इसी के साथ समस्‍त जनपदों के पुलिस प्रमुखों को थाना स्‍तर पर कार्रवाई सुनिश्चित कराने के लिए संबंधित थानाध्‍यक्ष को व्‍यक्तिगत तौर पर जिम्‍मेदार नामित किए जाने का निर्देश दिया गया है.

बता दें कि सोमवार को गोकशी की घटना से गुस्साए उपद्रवियों ने स्याना थानाक्षेत्र में एक पुलिस चौकी को फूंक दिया था. इस घटना में दंगाइयों ने अखलाक की हत्या की जांच के आईओ रहे इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी थी. पुलिस अधिकारी की हत्या के बाद प्रशासन सकते आ गया और आनन फानन में आला अधिकारी मौके पर पहुंचे.

घटना के बाद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की बहन मनीषा ने पुलिस पर बेहद संगीन आरोप लगाते हुए कहा था कि उनके भाई की हत्या अखलाक केस की जांच करने के चलते की गई है. उन्होंने कहा था कि गोरक्षा के नाम पर मुख्यमंत्री योगी सिर्फ बातें कर रहे हैं. वे खुद क्यों नहीं गोरक्षा करके दिखाते हैं? उन्होंने मांग की थी कि मेरे भाई को शहीद का दर्जा दिया जाए. एटा के पैतृक गांव में उनका शहीद स्मारक बनाया जाए.

उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश में खास बात यह है कि बुलंदशहर की घटना में मारे गए पुलिस अधिकारी के नाम का जिक्र एक बार भी नहीं आया. सूबे में लचर होती कानून व्यवस्था के सवाल को गोकशी पर केंद्रित कर दिया गया. जबकि गोरक्षा के नाम पर दंगाइयों और उपद्रवियों पर कार्रवाई करने के कोई निर्देश नहीं दिए गए.

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