गुरु नानक देव की जयंती पर पढ़ें अनमोल दोहे

समाज में समानता का नारा देने के लिए गुरु नानक देव ने कहा कि ईश्वर हमारा पिता है और हम सब उसके बच्चे हैं और पिता की निगाह में छोटा-बड़ा कोई नहीं होता। वही हमें पैदा करता है और हमारे पेट भरने के लिए खाना भेजता है।

गुरु नानक देव के यह 8 दोहे आपके लिए

अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥

मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत।

अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत॥

मन मूरख अजहूं नहिं समुझत, सिख दै हारयो नीत।

नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत॥

एक ओंकार सतनाम, करता पुरखु निरभऊ।
निरबैर, अकाल मूरति, अजूनी, सैभं गुर प्रसादि ।।

हुकमी उत्तम नीचु हुकमि लिखित दुखसुख पाई अहि।

इकना हुकमी बक्शीस इकि हुकमी सदा भवाई अहि ॥

सालाही सालाही एती सुरति न पाइया।

नदिआ अते वाह पवहि समुंदि न जाणी अहि ॥

पवणु गुरु पानी पिता माता धरति महतु।

दिवस रात दुई दाई दाइआ खेले सगलु जगतु ॥

धनु धरनी अरु संपति सगरी जो मानिओ अपनाई।

तन छूटै कुछ संग न चालै, कहा ताहि लपटाई॥

दीन दयाल सदा दु:ख-भंजन, ता सिउ रुचि न बढाई।

नानक कहत जगत सभ मिथिआ, ज्यों सुपना रैनाई॥

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