गंगा दशहरा: इस कारण गंगा को कहा जाता ,है त्रिलोक पथ गामिनी…

हिंदू धर्म में गंगा को बहुत ही पवित्र नदीयों के रूप कहते हैं और पतितपावनी मां गंगा, मनुष्यों के पापों को धोनी वाली मानी जाती है. इसी के साथ कहते हैं विष्णु पुराण में लिखा है कि गंगा मां का नाम लेने, सुनने , देखने जल ग्रहण करने, स्पर्श करने और गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं. कहा जाता है भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं को नदियों में गंगा कहा हैं वही ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता हैं.

इसी के साथ हिंदू धर्म के मुताबिक पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक गंगा को त्रिलोक पथ गामिनी भी कहा जाता हैं वही गंगा मां तीनो लोक में उपस्थि​​त हैं. कहा जाता है स्वर्ग में गंगा मां को मंदाकिनी और पाताल में भागीरथी कहा जाता हैं वही राजा भगीरथ के कठोर तप से गंंगा मां, धरती पर आई थी. इसी के साथ गंगा नदी के किनारे ही महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की थी और इस दुनिया में केवल गंगा ही एक मात्र नदी हैं जिन्हें माता कहकर बुलाया जाता हैं वही यह भी मान्यता हैं कि अगर किसी को मृत्यु के समय गंगाजल पिलाया जाए तो मरने वाले को स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती हैं. हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य में गंगा जल का इस्तेमाल अवश्य ही किया जाता हैं वही गंगा मां का जन्म भगवान श्री हरि विष्णु के चरणों से हो गया था. ऐसी मान्यता हैं कि भगवान श्री हरि विष्णु के पैर गुलाबी कमल रूप में हैं यही कारण हैं कि गंगा का रंग भी गुलाबी माना जाता हैं. वही गंगा मां का जिक्र सबसे पवित्र ग्रंथ ऋग्वेद में भी मिलता है.

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