उत्तराखंड: नैनीताल को मिली थी हाई कोर्ट की सौगात अरुण जेटली की बदौलत….

पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे अरुण जेटली को उत्तराखंड खासकर नैनीताल से बेहद लगाव था। यही वजह है कि अलग राज्य बनने के बाद जब देहरादून अस्थायी राजधानी बनाई गई तो क्षेत्रीय संतुलन के लिए तत्कालीन कानून मंत्री अरुण जेटली ने ही नैनीताल को हाई कोर्ट की सौगात दिलाई।

नौ नवंबर 2000 को उन्होंने ही राज्य के पहले राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला, मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी, मुख्य न्यायाधीश अशोक ए. देसाई और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्यामल कुमार सेन के साथ नैनीताल हाई कोर्ट की नींव रखी थी।

हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पहले अध्यक्ष व पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र सिंह पाल बताते हैं कि राज्य बनने के बाद नैनीताल में हाई कोर्ट की स्थापना के लिए अधिवक्ताओं ने आंदोलन किया तो वह, वरिष्ठ अधिवक्ता बीसी पांडे, जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष हरिशंकर कंसल, अधिवक्ता नंदप्रसाद ने दिल्ली में केंद्रीय रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज और कानून मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी।
जेटली ने नैनीताल में हाई कोर्ट की स्थापना का समर्थन किया और यह मांग भी पूरी हो गई। इसके बाद वह हाई कोर्ट के उद्घाटन के लिए खुद नैनीताल आए। डॉ. पॉल के अनुसार नैनीताल हाई कोर्ट की स्थापना का श्रेय जेटली के दूरगामी व विकासोन्मुख सोच को जाता है। उनके निधन से अधिवक्ता समाज दु:खी है।

 

चार दिनों तक राजभवन के मेहमान बने थे जेटली

अरुण जेटली तीन साल पहले 2016 में भी नैनीताल आए थे, तब वह केंद्र सरकार में वित्त मंत्री थे। इस दौरान चार दिनों 10 से 13 सितंबर तक वह सपरिवार पूर्व राज्यपाल डॉ. कृष्णकांत पॉल के बुलावे पर नैनीताल राजभवन में ठहरे थे। राज्यपाल के साथ उन्होंने नौकुचियाताल, नैनीताल गवर्नर्स बोट हाउस क्लब की सैर भी की थी।

राजभवन में ही पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के साथ मुलाकात कर विधानसभा चुनाव को लेकर मंत्रणा की थी। प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी उन्हें राज्य की सियासी स्थितियों की जानकारी दी थी। भाजपा नगर अध्यक्ष मनोज जोशी समेत महिला मोर्चा से जुड़ी महिलाओं ने भी जेटली से मुलाकात की थी। चार दिनों तक बेहद सादगी के साथ रहे जेटली ने राजभवन के अधिकारी-कर्मचारियों का दिल जीत लिया था।

राष्ट्रपति शासन की कानूनी लड़ाई के रणनीतिकार थे जेटली

नैनीताल : मार्च 2016 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा तो मामला नैनीताल हाई कोर्ट पहुंचा। राष्ट्रपति शासन को चुनौती देते हुए अपदस्थ सीएम हरीश रावत व कांग्रेस नेता डॉ. इंदिरा हृदयेश ने याचिकाएं दायर की थीं। कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल ने मोर्चा संभाला तो केंद्र सरकार की ओर से प्रसिद्ध वकील हरीश साल्वे, अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी के साथ ही असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह व तुषार मेहता पहुंचे थे, मगर पर्दे के पीछे से कानूनी रणनीति का तानाबाना जेटली ने ही बुना था।

केंद्र की ओर से भाजपा हाईकमान की रणनीति तीन माह तक मामला लटकाने की थी तो 18 मार्च को लगे राष्ट्रपति शासन के बाद दोबारा फ्लोर टेस्ट 27 मई को हुआ था।

आधी रात तक की थी राज्य की वित्तीय जरूरतों पर मंत्रणा

राष्ट्रपति शासन के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कांग्रेस नेता हरीश रावत की सरकार फिर से बहाल हुई तो दस सितंबर को जेटली सपरिवार नैनीताल आ गए। इसी बीच राज्य की वित्तीय जरूरतों का पुलिंदा लेकर तत्कालीन सीएम हरीश रावत नैनीताल आए, तब वित्त सचिव अमित नेगी भी बैठक के लिए पहुंचे।

खुद नेगी बताते हैं कि आधी रात तक बैठक में जेटली ने राज्य की वित्तीय जरूरतों व संभावनाओं की बारीकी से समीक्षा की थी। वित्त सचिव ने राज्य को तीन सौ करोड़ की सहायता का प्रजेंटेशन रखा था। यहां से जाने के बाद जेटली ने केंद्र सरकार से रुकी तमाम योजनाओं का बजट उत्तराखंड के लिए जारी कराया था।

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