ईजीएम का फैसला- टाटा टेली से भी मिस्त्री की विदाई

cyrus_mistry_14_12_2016टाटा समूह की दूरसंचार कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज के चेयरमैन व निदेशक पद से भी साइरस मिस्त्री को हटा दिया गया। बुधवार को हुई कंपनी की असाधारण आम बैठक (ईजीएम) में शेयरधारकों ने उन्हें सर्वसम्मति से हटाने का फैसला किया।

इस तरह टाटा इंडस्ट्रीज और टीसीएस के बाद टाटा टेली समूह की तीसरी ऐसी कंपनी बन गई है, जिसके बोर्ड से साइरस को बाहर किया गया है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी की बीते दिन हुई ईजीएम में 93.11 फीसद शेयरधारकों ने मिस्त्री को हटाने के पक्ष में वोट डाले थे।

समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के निर्देश पर टाटा टेली की ईजीएम बुलाई गई थी। इसमें टाटा संस की 36.17 फीसद हिस्सेदारी है। यह कंपनी शेयर बाजार में लिस्टेड टाटा टेलीसर्विसेज (महाराष्ट्र) की प्रमुख प्रमोटर है। टाटा टेली में ही जापान की एनटीटी डोकोमो ने बड़ी हिस्सेदारी खरीदी थी। अब टाटा समूह का डोकोमो के साथ कानूनी विवाद चल रहा है।

मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से 24 अक्टूबर को बर्खास्त कर दिया गया था। तभी से अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए समूह की कंपनियों के निदेशक बोर्ड से भी साइरस को हटाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। टाटा संस के कहने पर मिस्त्री को बोर्ड से हटाने के लिए अगले हफ्ते टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा केमिकल्स और इंडियन होटल्स जैसी ग्रुप की अन्य कंपनियों ने भी ईजीएम बुलाई है।

टाटा के खिलाफ जारी रहेगी लड़ाई

साइरस मिस्त्री ने कहा, “मैं टाटा संस के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगा। बीते दिन हुई ईजीएम में टीसीएस के 70 फीसद गैर-प्रमोटर शेयरधारकों ने या तो मेरे पक्ष में मतदान किया या वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। यह इस बात का संकेत है कि टाटा समूह के भीतर गवर्नेंस में सुधार की सख्त जरूरत है।”

अपने नैतिक बल पर जोर देते हुए साइरस ने कहा कि उन्हें पद का लालच नहीं है। उनकी लड़ाई समूह की आत्मा को बचाने की है। उन्होंने टीसीएस के शेयरधारकों को धन्यवाद भी दिया।

हाई कोर्ट पहुंचा नुस्ली को हटाने का मामला

मुंबई। टाटा समूह की कई कंपनियों में स्वतंत्र निदेशक नुस्ली वाडिया को हटाने का मामला बांबे हाई कोर्ट पहुंच गया है। समूह की कंपनियों के चार माइनॉरिटी शेयरधारकों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करके नुस्ली को बोर्ड से हटाए जाने के टाटा संस के प्रस्ताव को चुनौती दी है।

इस मामले में टाटा संस ने भी अदालत से खुद को पक्षकार बनाने का अनुरोध किया है। इसमें पहली बार सरकार को भी समूह के विवाद में पार्टी बनाया गया है।

यह याचिका जनक मथुरादास, योगेश मथुरादास, चंदा मथुरादास और प्रमिला मथुरादास की ओर से हाई कोर्ट में दाखिल की गई है। ये चारों समूह की टाटा केमिकल्स, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील में माइनॉरिटी शेयरधारक हैं।

याचिका में इन कंपनियों की 21 और 23 दिसंबर को बुलाई गई ईजीएम में प्रमोटरों को वोटिंग से दूर रखने की मांग की गई है। इसमें कंपनी कानून के उस प्रावधान को भी चुनौती दी गई है, जिसके तहत प्रमोटरों को स्वतंत्र निदेशक को हटाने वाले प्रस्ताव पर वोट देने की अनुमति है।

नैनो पर रतन से थे मतभेद : नुस्ली

नुस्ली ने टाटा मोटर्स के शेयरधारकों को लिखे पत्र में कहा है कि समूह की छोटी कार नैनो पर धन की बर्बादी के चलते उनके रतन टाटा के साथ मतभेद थे। वाडिया नैनो परियोजना को पूरी तरह बंद करने के पक्ष में थे, जबकि रतन ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था।

 

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