इस साल 25 मार्च को है गुड़ी पड़वा का पर्व, पढ़िए इसकी पूरी कथा

हिन्दू धर्म में गुड़ी पड़वा का पर्व हिन्दू नववर्ष के तौर पर मनाया जाता है और इस पर्व के दौरान लोग घर में गुड़ी सजाते है। इसके साथ ही महाराष्ट्र राज्य में ये पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं ये पर्व हर साल चैत्र माह में आता है और इसके साथ ही हिन्दूओं का नववर्ष आरंभ हो जाता है। वहीं इस साल ये पर्व 25 मार्च के दिन आ रहा है। ये पर्व कैसे मनाया जाता है और इस पर्व से जुड़ी कथा इस प्रकार है।

इस तरह से मनाएं गुड़ी पड़वा
गुड़ी पड़वा के दिन लोग नए कपड़े पहना करते हैं और घर को अच्छे से सजाते हैं। इसके साथ ही इस दिन सुंदरकांड, रामरक्षास्तोत्र और देवी भगवती के मंत्रों का जाप करने से विशेष फल मिलता है। वहीं गुड़ी पड़वा के दिन सूर्य देव की पूजा जरूर की जाती है और सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव की पूजा करने से नया साल अच्छे से गुजर जाता है और शरीर को रोगों से मुक्ति मिल जाती है।इसके साथ ही गुड़ी पड़वा के दिन गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चे आम का सेवन जरुर किया जाता है। वहीं घर के मुख्य दरवाजे पर अशोक या आम के पत्तों की बंदनवार भी लगाई जाती है। वहीं ये बंदनवार लगाने से घर में खुशियों का माहौल बना रहता है और घर में सदा बरकत रहती है।

इस साल कब आ रहा है गुड़ी पड़वा का पर्व
इस साल ये पर्व 25 मार्च यानी बुधवार के दिन आ रहा है। गुड़ी पड़वा का प्रारंभ 24 मार्च 2 बजकर 57 मिनट से हो जाएगा जो कि अगले दिन 25 मार्च 5 बजकर 26 मिनट तक रह सकता है ।

गुड़ी पड़वा से जुड़ी पहली कथा
गुड़ी पड़वा माने के पीछे कई सारी कथाएं जुड़ी हुई हैं। एक कथा के अनुसार इस दिन सृष्टि का निर्माण हुआ था।ऐसा  माना जाता है कि गुड़ी पड़वा के दिन यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना का कार्य शुरू किया। इसके साथ ही जिसके चलते इस दिन को सृष्टि का प्रथम दिन भी कहा जाता हैं। इस दिन से हिंदू कैलेंडर का नया वर्ष भी शुरू हो जाता है।

गुड़ी पड़वा से जुड़ी दूसरी कथा
दूसरी कथा राम और बाली से जुड़ी हुई है। कथा के मुताबिक दक्षिण भारत के कई इलाकों पर राजा बाली का शासन हुआ करता था। राजा बाली की अपने भाई सुग्रीव से दुश्मनी थी और बाली अपने भाई सुग्रीव को मारना चाहता था। इसी दौरान जब राम की मुलाकात सुग्रीव से हुई तो इन दोनों के बीच में दोस्ती हो गई। सुग्रीव ने राम से मदद मांगी और कहा कि वो उसकी रक्षा बाली से करें। जिसके बाद राम ने सुग्रीव को वचन दिया कि वो उसके भाई से उसकी रक्षा करेंगे। मान्यता है कि राम जी ने गुडी पड़वा के दिन ही बाली का वध किया था और बाली के अत्याचारों से सुग्रीव और प्रजा की रक्षा की थी। वहीं सुग्रीव ने बदले में राम जी को अपनी वानर सेना दी थी और इस सेना की मदद से राम जी ने रावण से युद्ध लड़ा था। इस दिन को विजय दिन के रूप में भी मनाया जाता है।

 

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