अशोक गहलोत के निजी सचिव रहे धीरज श्रीवास्तव कैसे बन गए प्रियंका गांधी के निजी सचिव

राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी धीरज श्रीवास्तव ने सरकारी सेवा से संन्यास लेने के बाद अब कांग्रेस के महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव के रूप में कामकाज देखने का फैसला किया है. राजस्थान के लोगों को इस फैसले से कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने सबसे करीबी अधिकारी धीरज श्रीवास्तव को 2003 में सत्ता जाते ही तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास लगा दिया था.

धीरज श्रीवास्तव के दो दशक से ज्यादा समय तक राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहने के बावजूद उनका ज्यादा समय कांग्रेस की राजनीति में ही गुजरा है. सबसे पहले वे जोधपुर में एसडीएम बन कर आए थे. तब जोधपुर के सांसद रहे अशोक गहलोत से नजदीकी हुई थी. अपनी पहली नौकरी में उस वक्त के सबसे ताकतवर नेता के नजदीक आने का फायदा धीरज श्रीवास्तव को उनके करियर में हुआ. उसके बाद कांग्रेस सत्ता में आई तो 1998 में मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत जयपुर आए. मुख्यमंत्री बनते ही अशोक गहलोत ने धीरज श्रीवास्तव को अपना ओएसडी बना दिया.

1999 से 2003 के बीच कांग्रेस की जैसे ही सरकार गई, अशोक गहलोत ने धीरज श्रीवास्तव को उस वक्त सोनिया गांधी के पास रखवा दिया. वो मनमोहन सिंह सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय में भी रहे. उस वक्त लोगों में चर्चा थी कि धीरज श्रीवास्तव दिल्ली क्यों चले गए. तब कहा जा रहा था कि सरकार चली गई है और वह अशोक गहलोत के सबसे बड़े राजदार हैं. ऐसे में राज्य अधिकारी के रूप में यहां रहते तो इधर-उधर की कई तरह की बातें सामने आ सकती थीं लेकिन धीरज श्रीवास्तव ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा.

धीरज श्रीवास्तव वहां से सफर शुरू करते हुए राजीव गांधी फाउंडेशन में पहुंच गए. काफी समय तक धीरज श्रीवास्तव कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के ओएसडी रहे. वे लंबे समय से राजीव गांधी फाउंडेशन में ही दिल्ली में प्रतिनिधि के तौर पर सेवाएं दे रहे थे. धीरे-धीरे वे प्रियंका गांधी के नजदीक आए. उस वक्त वे सोनिया गांधी के साथ-साथ प्रियंका गांधी का भी काम देख रहे थे. बहुत कम लोग जानते हैं कि यही वो कड़ी है जिसकी वजह से सोनिया और प्रियंका गांधी के दरबार में अशोक गहलोत की चलती है. धीरज श्रीवास्तव की वजह से ही अशोक गहलोत की सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के यहां सीधी एंट्री है. इसी एंट्री की वजह से सचिन पायलट कभी भी राजस्थान में नंबर वन की हैसियत नहीं पा सके.

धीरज श्रीवास्तव ने इस दौरान छोटे समय के लिए सिरोही जालौर और जोधपुर में भी फील्ड पोस्टिंग में अपनी सेवाएं दी हैं मगर अल्प सेवा के तुरंत बाद इनको वापस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति मिल जाती थी. इस दौरान उन्होंने महिला-बाल विकास, ग्रामीण विकास, आदिवासी विकास, आरटीआई, मनरेगा, घुमंतू जातियों के लिए काम किया. 2014 में आई बाढ़ के दौरान भी उन्होंने बेहतरीन काम किया था.

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