अमरीका संग रक्षा सहयोग समझौता भारत की संप्रभुता से समझौता

नई दिल्ली अमरीका के साथ एक बड़े रक्षा सहयोग समझौते को लेकर माकपा ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर जानबूझकर संसद की उपेक्षा करने का आरोप लगाया।

img_20161214023904वामपंथी पार्टी के अनुसार, करार ने यह आशंका बढ़ा दी है कि सरकार भारतीय संप्रभुता और रणनीतिक स्वायत्तता से समझौता कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी को लिखे एक पत्र में मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, “समझौता, जो भारत को अमेरिका के करीबी घटक देशों और सहयोगियों के समान बनाता है, वह देश की रक्षा संबंध नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव है और यह संसद को विश्वास में लिए बिना किया गया है।
उन्होंने कहा, “हालांकि अमेरिकी सरकार ने बड़े रक्षा सहयोगी दर्जे के विस्तृत विवरणों को वित्त वर्ष 2017 के राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) के हिस्से के रूप में मंजूरी के लिए सीनेट की पटल पर रखा, जबकि आपकी सरकार ने इस तरह के महत्वपूर्ण समझौते को लेकर संसद में एक बयान तक जारी नहीं किया। 2017 एनडीएए को पढ़कर देश समझौते के अमेरिकी पक्ष को समझ सकता है, लेकिन अमेरिका के बड़े रक्षा सहयोगी के रूप में भारत की प्रतिबद्धता से अनभिज्ञ बना हुआ है।
 उन्होंने कहा, “एनडीएए 2017 के पैरा (1) और उपबंध 1292 तथ्यों को साफ जाहिर करता है। यह दक्षिण एशिया और वृहत भारत-एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उच्च अमेरिकी हितों के मद्देनजर भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग में विस्तार पर स्पष्ट रूप से प्रकाश डालता है। येचुरी ने कहा कि अपने पड़ोस में अमेरिका के एक कनिष्ठ सहयोगी बनने की आपकी सरकार की प्रतिबद्धता दुखद है। यह स्वतंत्र भारतीय विदेश नीति के ताबूत में अंतिम कील का प्रतिनिधित्व करती है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस साल के शुरू में दोनों देशों के बीच हुए लॉजिस्टिक विनिमय समझौते को न तो संसद में रखा गया और न ही इसे रक्षा पर स्थाई समिति के समक्ष पेश किया गया है।

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